दश लक्षणानि धर्मस्य ये विप्राः समधीयते । अधीत्य चानुवर्तन्ते ते यान्ति परमां गतिम् ।

. धर्म के दश लक्षणों का जो द्विज अध्यन – मन न करते हैं और पढ़कर – मनन करके इनका पालन करते हैं वे उत्तम गति को प्राप्त करते हैं ।

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