Adhyay : 6 Mantra : 87 Back to listings ब्रह्मचारी गृहस्थश्च वानप्रस्थो यतिस्तथा । एते गृहस्थप्रभवाश्चत्वारः पृथगाश्रमाः Leave a comment . ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास ये चारों अलग – अलग आश्रम गृहस्थाश्रम से ही उत्पन्न हुए हैं । Related