Adhyay : 6 Mantra : 79 Back to listings प्रियेषु स्वेषु सुकृतं अप्रियेषु च दुष्कृतम् । विसृज्य ध्यानयोगेन ब्रह्माभ्येति सनातनम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related