ग्रीष्मे पञ्चतपास्तु स्याद्वर्षास्वभ्रावकाशिकः । आर्द्रवासास्तु हेमन्ते क्रमशो वर्धयंस्तपः ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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