चान्द्रायणविधानैर्वा शुक्लकृष्णे च वर्तयेत् । पक्षान्तयोर्वाप्यश्नीयाद्यवागूं क्वथितां सकृत्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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