Adhyay : 5 Mantra : 93 Back to listings न राज्ञां अघदोषोऽस्ति व्रतिनां न च सत्त्रिणाम् । ऐन्द्रं स्थानं उपासीना ब्रह्मभूता हि ते सदा Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related