दशाहं शावं आशौचं सपिण्डेषु विधीयते । अर्वाक्संचयनादस्थ्नां त्र्यहं एकाहं एव वा

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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