अनेन विधिना नित्यं पञ्चयज्ञान्न हापयेत् । द्वितीयं आयुषो भागं कृतदारो गृहे वसेत्

इस (४।१ से ५।१६८ तक) पूर्वोक्त विधि से रहते हुए पंचयज्ञों को कभी न छोड़े और आयु के दूसरे भाग तक स्त्री – सहित घर में निवास करे ।

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