Adhyay : 5 Mantra : 158 Back to listings आसीता मरणात्क्सान्ता नियता ब्रह्मचारिणी । यो धर्म एकपत्नीनां काङ्क्षन्ती तं अनुत्तमम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related