यस्मै दद्यात्पिता त्वेनां भ्राता वानुमते पितुः । तं शुश्रूषेत जीवन्तं संस्थितं च न लङ्घयेत् ।

पिता इस स्त्री को जिसे दे दे अर्थात् जिसके साथ विवाह करे अथवा पिता की सहमति से भाई जिससे विवाह कर दे उसकी जीते हुए सेवा करे और मरने के बाद पतिव्रत -धर्म का व्यभिचार आदि से उल्लंघन न करे ।

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