नोच्छिष्टं कुर्वते मुख्या विप्रुषोऽङ्गं न यान्ति याः । न श्मश्रूणि गतान्यास्यं न दन्तान्तरधिष्ठितम् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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