प्रतुदाञ् जालपादांश्च कोयष्टिनखविष्किरान् । निमज्जतश्च मत्स्यादान्सौनं वल्लूरं एव च

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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