प्रोक्षणात्तृणकाष्ठं च पलालं चैव शुध्यति । मार्जनोपाञ्जनैर्वेश्म पुनःपाकेन मृन्मयम् ।

घास, काष्ठ और पुआल से बने पदार्थ जल में डुबाकर पोंछने से शुद्ध होता है घर की शुद्धि धोने – बुहारने और लीपने से होती है मिट्टी का पात्र या पदार्थ फिर आग में पकाने से शुद्ध होता है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *