मार्जनं यज्ञपात्राणां पाणिना यज्ञकर्मणि । चमसानां ग्रहाणां च शुद्धिः प्रक्षालनेन तु

यज्ञ करते समय प्रयुक्त यज्ञ के पात्रों चमचों और कटोरों की शुद्धि हाथ से रगड़कर मांजने और धोने से होती है ।

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