Adhyay : 5 Mantra : 116 Back to listings मार्जनं यज्ञपात्राणां पाणिना यज्ञकर्मणि । चमसानां ग्रहाणां च शुद्धिः प्रक्षालनेन तु Leave a comment यज्ञ करते समय प्रयुक्त यज्ञ के पात्रों चमचों और कटोरों की शुद्धि हाथ से रगड़कर मांजने और धोने से होती है । Related