Adhyay : 5 Mantra : 113 Back to listings अपां अग्नेश्च संयोगाद्धैमं रौप्यं च निर्बभौ । तस्मात्तयोः स्वयोन्यैव निर्णेको गुणवत्तरः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related