विद्वान् लोग क्षमा से दुष्टकर्मकारी सत्संग और विद्यादि शुभ गुणों के दान से गुप्त पाप करने हारे विचार से त्याग कर और ब्रह्मचर्य तथा सत्यभाषणादि से वेदवित् उत्तम विद्वान् शुद्ध होते हैं ।
(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)
विद्वान् लोग क्षमा से दुष्टकर्मकारी सत्संग और विद्यादि शुभ गुणों के दान से गुप्त पाप करने हारे विचार से त्याग कर और ब्रह्मचर्य तथा सत्यभाषणादि से वेदवित् उत्तम विद्वान् शुद्ध होते हैं ।
(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)