यद्यन्नं अत्ति तेषां तु दशाहेनैव शुध्यति । अनदन्नन्नं अह्नैव न चेत्तस्मिन्गृहे वसेत्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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