Adhyay : 5 Mantra : 101 Back to listings असपिण्डं द्विजं प्रेतं विप्रो निर्हृत्य बन्धुवत् । विशुध्यति त्रिरात्रेण मातुराप्तांश्च बान्धवान् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related