Adhyay : 4 Mantra : 97 Back to listings यथाशास्त्रं तु कृत्वैवं उत्सर्गं छन्दसां बहिः । विरमेत्पक्षिणीं रात्रिं तदेवैकं अहर्निशम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related