पुष्ये तु छन्दसां कुर्याद्बहिरुत्सर्जनं द्विजः । माघशुक्लस्य वा प्राप्ते पूर्वाह्णे प्रथमेऽहनि ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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