ऋषयो दीर्घसंध्यत्वाद्दीर्घं आयुरवाप्नुयुः । प्रज्ञां यशश्च कीर्तिं च ब्रह्मवर्चसं एव च ।

मन्त्रार्थद्रष्टा ऋषियों ने देर तक संध्योपासना करने के कारण लम्बी आयु, बुद्धि, यश, प्रसिद्धि और ब्रह्मतेज को प्राप्त किया है ।

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