Adhyay : 4 Mantra : 83 Back to listings केशग्रहान्प्रहारांश्च शिरस्येतान्विवर्जयेत् । शिरःस्नातश्च तैलेन नाङ्गं किं चिदपि स्पृशेत् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related