केशग्रहान्प्रहारांश्च शिरस्येतान्विवर्जयेत् । शिरःस्नातश्च तैलेन नाङ्गं किं चिदपि स्पृशेत्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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