सज्जनगृहस्थ लोगों को योग्य है कि जो पतित, दुष्टकर्म करने हारे हों न उनके, न चांडाल, न कंजर न मूर्ख, न मिथ्याभिमानी, और न नीच निश्चय वाले मनुष्यों के साथ कभी निवास करें ।
(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)
सज्जनगृहस्थ लोगों को योग्य है कि जो पतित, दुष्टकर्म करने हारे हों न उनके, न चांडाल, न कंजर न मूर्ख, न मिथ्याभिमानी, और न नीच निश्चय वाले मनुष्यों के साथ कभी निवास करें ।
(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)