Adhyay : 4 Mantra : 74 Back to listings नाक्षैर्दीव्येत्कदा चित्तु स्वयं नोपानहौ हरेत् । शयनस्थो न भुञ्जीत न पाणिस्थं न चासने Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related