नाक्षैर्दीव्येत्कदा चित्तु स्वयं नोपानहौ हरेत् । शयनस्थो न भुञ्जीत न पाणिस्थं न चासने

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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