न वारयेद्गां धयन्तीं न चाचक्षीत कस्य चित् । न दिवीन्द्रायुधं दृष्ट्वा कस्य चिद्दर्शयेद्बुधः । ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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