Adhyay : 4 Mantra : 44 Back to listings नाञ्जयन्तीं स्वके नेत्रे न चाभ्यक्तां अनावृताम् । न पश्येत्प्रसवन्तीं च तेजस्कामो द्विजोत्तमः । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related