Adhyay : 4 Mantra : 43 Back to listings नाश्नीयाद्भार्यया सार्धं नैनां ईक्षेत चाश्नतीम् । क्षुवतीं जृम्भमाणां वा न चासीनां यथासुखम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related