जब कोई किसी का सम्बन्धी मर जाता है उसको मिट्टी के ढेले के समान भूमि में छोड़कर पीठ दे बन्धुवर्ग विमुख होकर चले जाते हैं, कोई उसके साथ जाने वाला नहीं होता, किन्तु एक धर्म ही उसका संगी होता है ।
(स० प्र० चतुर्थ समु०)
जब कोई किसी का सम्बन्धी मर जाता है उसको मिट्टी के ढेले के समान भूमि में छोड़कर पीठ दे बन्धुवर्ग विमुख होकर चले जाते हैं, कोई उसके साथ जाने वाला नहीं होता, किन्तु एक धर्म ही उसका संगी होता है ।
(स० प्र० चतुर्थ समु०)