Adhyay : 4 Mantra : 252 Back to listings गुरुषु त्वभ्यतीतेषु विना वा तैर्गृहे वसन् । आत्मनो वृत्तिं अन्विच्छन्गृह्णीयात्साधुतः सदा । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related