अग्निहोत्र का विधान –
गृहस्थ प्रतिदिन दिन – रात के आदि और अंत में अर्थात् प्रातः सांय सन्धिवेलाओं में अग्निहोत्र करे और आवे मास के अन्त में दर्शयज्ञ अर्थात् अमावस्या का यज्ञ करे तथा इसी प्रकार मास पूर्ण होने पर पूर्णिमा के दिन पौर्णमास यज्ञ करे ।
अग्निहोत्र का विधान –
गृहस्थ प्रतिदिन दिन – रात के आदि और अंत में अर्थात् प्रातः सांय सन्धिवेलाओं में अग्निहोत्र करे और आवे मास के अन्त में दर्शयज्ञ अर्थात् अमावस्या का यज्ञ करे तथा इसी प्रकार मास पूर्ण होने पर पूर्णिमा के दिन पौर्णमास यज्ञ करे ।