Adhyay : 4 Mantra : 240 Back to listings एकः प्रजायते जन्तुरेक एव प्रलीयते । एकोऽनुभुङ्क्ते सुकृतं एक एव च दुष्कृतम् Leave a comment अकेला ही जीव जन्म और मरण को प्राप्त होता है एक ही धर्म का फल सुख और अधर्म का दुःखरूप फल को भोगता है । Related