एकः प्रजायते जन्तुरेक एव प्रलीयते । एकोऽनुभुङ्क्ते सुकृतं एक एव च दुष्कृतम्

अकेला ही जीव जन्म और मरण को प्राप्त होता है एक ही धर्म का फल सुख और अधर्म का दुःखरूप फल को भोगता है ।

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