Adhyay : 4 Mantra : 232 Back to listings यानशय्याप्रदो भार्यां ऐश्वर्यं अभयप्रदः । धान्यदः शाश्वतं सौख्यं ब्रह्मदो ब्रह्मसार्ष्टिताम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related