Adhyay : 4 Mantra : 219 Back to listings कारुकान्नं प्रजां हन्ति बलं निर्णेजकस्य च । गणान्नं गणिकान्नं च लोकेभ्यः परिकृन्तति Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related