Adhyay : 4 Mantra : 215 Back to listings कर्मारस्य निषादस्य रङ्गावतारकस्य च । सुवर्णकर्तुर्वेणस्य शस्त्रविक्रयिणस्तथा । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related