Adhyay : 4 Mantra : 214 Back to listings पिशुनानृतिनोश्चान्नं क्रतुविक्रयिणस्तथा । शैलूषतुन्नवायान्नं कृतघ्नस्यान्नं एव च Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related