Adhyay : 4 Mantra : 207 Back to listings मत्तक्रुद्धातुराणां च न भुञ्जीत कदा चन । केशकीटावपन्नं च पदा स्पृष्टं च कामतः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related