ब्राह्मण दान लेने का अधिकारी होते हुए भी दान प्राप्ति में आसक्तिभाव को छोड़ देवे क्यों कि दान लेते रहने से इसका ब्राह्मतेज शीघ्र शान्त होने लगता है ।
ब्राह्मण दान लेने का अधिकारी होते हुए भी दान प्राप्ति में आसक्तिभाव को छोड़ देवे क्यों कि दान लेते रहने से इसका ब्राह्मतेज शीघ्र शान्त होने लगता है ।