आकाशेशास्तु विज्ञेया बालवृद्धकृशातुराः । भ्राता ज्येष्ठः समः पित्रा भार्या पुत्रः स्वका तनुः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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