Adhyay : 4 Mantra : 184 Back to listings आकाशेशास्तु विज्ञेया बालवृद्धकृशातुराः । भ्राता ज्येष्ठः समः पित्रा भार्या पुत्रः स्वका तनुः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related