मातापितृभ्यां जामीभिर्भ्रात्रा पुत्रेण भार्यया । दुहित्रा दासवर्गेण विवादं न समाचरेत् । ।

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विवाद न करने योग्य व्यक्ति –

यज्ञ का कराने हारा सदा उत्तम चाल – चलन की शिक्षा कारक विद्या पढ़ाने हारा मामा अर्थात् जिसकी कोई आने की निश्चित तिथि न हो अपने आश्रित बालक बुढ्ढे पीड़ित आयुर्वेद का ज्ञाता स्वगोत्रस्थ वा स्ववर्णस्थ श्वसुर आदि मित्र माता पिता बहन भाई स्त्री पुत्री और सेवक लोगों से विवाद अर्थात् विरूद्ध लड़ाई – बखेड़ा कभी न करे ।

(स० प्र० चतुर्थ समु०)

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