न पाणिपादचपलो न नेत्रचपलोऽनृजुः । न स्याद्वाक्चपलश्चैव न परद्रोहकर्मधीः ।

हाथ – पैरों से चंचलता के कार्य न करे आंखों से चंचलतायुक्त काम न करे कुटिलता न करे वाणी से चपलता न करे और दूसरों की हानि या द्वेष के कर्मों में मन लगाने वाला न बने ।

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