अधर्म – निन्दा एवं फल –
. यदि अधम्र का फल कत्र्ता की विद्यमानता में न हो तो पुत्रों यदि पुत्रों के समय में न हो तो नातियों – पोतों के समय में अवश्य प्राप्त होता है किन्तु यह कभी नहीं हो सकता कि कत्र्ता का किया हुआ कर्म निष्फल होवे ।
(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)