Adhyay : 4 Mantra : 166 Back to listings ताडयित्वा तृणेनापि संरम्भान्मतिपूर्वकम् । एकविंशतीं आजातीः पापयोनिषु जायते Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related