जो दुष्टाचारी पुरूष है वह संसार में सज्जनों के मध्य में निन्दा को प्राप्त दुःखभागी और निरन्तर व्याधियुक्त होकर अल्पायु का भी भोगने हारा होता है ।
(स० प्र० चतुर्थ समु०)
‘‘और जो दुष्टाचारी पुरूष होता है वह सर्वत्र निन्दित दुःखभागी और व्याधि से अल्पायु सदा हो जाता है ।’’
(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)