Adhyay : 4 Mantra : 142 Back to listings न स्पृशेत्पाणिनोच्छिष्टो विप्रो गोब्राह्मणानलाण् । न चापि पश्येदशुचिः सुस्थो ज्योतिर्गणान्दिवा । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related