. सदा भद्र अर्थात् सबके हितकारी वचन बोला करे शुष्कवैर अर्थात् बिना अपराध किसी के साथ विरोध न करे जो – जो दूसरे का हितकारी हो और बुरा भी माने तथापि कहे बिना न रहे ।
(स० प्र० ४ स०)
. सदा भद्र अर्थात् सबके हितकारी वचन बोला करे शुष्कवैर अर्थात् बिना अपराध किसी के साथ विरोध न करे जो – जो दूसरे का हितकारी हो और बुरा भी माने तथापि कहे बिना न रहे ।
(स० प्र० ४ स०)