न हीदृशं अनायुष्यं लोके किं चन विद्यते । यादृशं पुरुषस्येह परदारोपसेवनम् । ।

परस्त्रीसेवन – निन्दा

. गृहस्थ द्विज का इस संसार में पुरूष की आयु को घटाने वाला ऐसा कोई काम नहीं है जैसा कि परस्त्रीगमन करना है ।

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