Adhyay : 4 Mantra : 127 Back to listings द्वावेव वर्जयेन्नित्यं अनध्यायौ प्रयत्नतः । स्वाध्यायभूमिं चाशुद्धं आत्मानं चाशुचिं द्विजः । । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related