Adhyay : 4 Mantra : 115 Back to listings पांसुवर्षे दिशां दाहे गोमायुविरुते तथा । श्वखरोष्ट्रे च रुवति पङ्क्तौ च न पठेद्द्विजः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related