नित्यानध्याय एव स्याद्ग्रामेषु नगरेषु च । धर्मनैपुण्यकामानां पूतिगन्धे च सर्वदा

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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