कर्णश्रवेऽनिले रात्रौ दिवा पांसुसमूहने । एतौ वर्षास्वनध्यायावध्यायज्ञाः प्रचक्षते ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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